
नयी दिल्ली : लेखिका गीतांजलि श्री को मौलिक रूप से उनके हिंदी उपान्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी में अनूदित संस्करण टंूब ऑफ सेंड्स के लिए प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार को पाने के बाद गीतांजलि श्री ने प्रसन्नता जतायी है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतने वाली गीतांजलि श्री पहली हिंदी लेखिका बन गयीं।
बीबीसी ने लिखा है इस उपन्यास के अंग्रेज़ी अनुवाद टूंब ऑफ़ सैंड ने 2022 का इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीता है। इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ हर वर्ष अंग्रेज़ी में अनुवादित और इंग्लैंड आयरलैंड में छपी किसी एक अंतरराष्ट्रीय किताब को दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरूआत वर्ष 2005 में हुई थी।
पुरस्कार स्वीकार करने के लिए दी गई अपनी स्पीच में गीतांजलि श्री ने कहा, मैंने कभी इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी। कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ। ये एक बड़ा पुरस्कार हैण् मैं हैरानए प्रसन्न ए सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ।
उन्होंने कहा, मैं और ये पुस्तक दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा से जुड़े हैं। विश्व साहित्य इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों से परिचित होकर समृद्ध होगा।
इसका अंग्रेज़ी अनुवाद मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने किया है। 50,000 पाउंड यानी क़रीब 50 लाख रुपये के साहित्यिक पुरस्कार के लिये पांच अन्य किताबों से इसकी प्रतिस्पर्धा हुई। पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बराबर बांटी जाएगी।
राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित रेत समाधिहिंदी की पहली ऐसी कृति है जो न केवल इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार की लॉन्गलिस्ट और शॉर्टलिस्ट तक पहुंची बल्कि इंटरनेशनल बुकर जीती भी।
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