तीन सालों में कोयला खनन के लिए डायवर्ट की गयी कुल जमीन में एक चौथाई वन भूमि : रिपोर्ट
लाइफ संस्था की यह रिपोर्ट कोरोना संकट खत्म होने के बाद कोयला के दोहन में तेजी का भी संकेत देती है और आने वाले सालों में वन भूमि के कोयला खनन के लिए डायवर्सन और बढ सकता है
झरिया कोयला क्षेत्र में मुश्किल भरी जिंदगी, पेयजल की दिक्कत के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों पर भी संकट
झरिया : बबन कुमार झरिया के डिगवाडीह में स्टेडियम के पास बीसीसीएल के एक पुराने क्वार्टर में रहते हैं। उनके घर में परित्यक्त कोयला खदानों के पानी की आपूर्ति की जाती है, जो नहाने-धोने के काम में आता है। वे अपने घर से रोज रात में एक किमी दूर साइकिल से पानी लाने जाते हैं।
कोयला के भरपूर दोहन व विद्युत उत्पादन में वृद्धि के बावजूद बिजली संकट कायम, उपाय क्या है?
रांची : कोयला मंत्रालय ने बुधवार (आठ जून 2022) को नए आंकड़े पेश करते हुए बताया है कि मई 2022 में पिछले साल की इस अवधि की तुलना में देश में कोयला उत्पादन और बिजली उत्पादन दोनों बढा है। कोयला मंत्रालय ने यह दावा ऐसे हालात के बीच किया है, जब प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य
बांग्लादेश दे रहा खाद्य सुरक्षा पर महंगी कोयला बिजली को तरजीह, विशेषज्ञों ने उठाया सवाल
जहां एक ओर खाद्य सुरक्षा दुनिया के लगभग सभी देशों की प्राथमिकता है, वहीं पड़ोसी देश बांग्लादेश से इस संदर्भ में एक हैरान करने वाली खबर आ रही है। दरअसल हाल ही में बांग्लादेश ने जीवाश्म ईंधन की बढ़ती लागत के कारण गरीबों के लिए खाद्य सब्सिडी को कम करने का फैसला लिया। इसी क्रम
नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य के लिए झारखंड में कार्बन न्यूट्रल इकोनॉमी का निर्माण है जरूरी
कार्बन बजटिंग और न्यूट्रैलिटी पर रोडमैप लागू करने के लिए इंडस्ट्रीज और बिज़नेस सेक्टर्स प्रतिबद्ध जेएसपीसीबी और सीड के द्वारा कार्बन बजटिंग पर कान्फ्रेंस का आयोजन रांची : झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (JSPCB)और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (SEED) द्वारा संयुक्त रूप से एक राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस कार्बन बजटिंग एंड न्यूट्रैलिटी इन झारखंड
स्वच्छ ऊर्जा से नौ गुणा अधिक सब्सिडी जीवाष्म ईंधन को, 2030 के लक्ष्य के लिए और वित्त पोषण जरूरी
भारत में अक्षय ऊर्जा पर सब्सिडी 59 प्रतिशत गिरकर 6,767 करोड़ रुपये हो गई है, जो वित्त वर्ष 2017 में 16,312 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं जीवाश्म ईंधन को वित्त वर्ष 20-21 में मिल रही सब्सिडी अक्षय ऊर्जा को मिल रही सब्सिडी से नौ गुना रही।
वे यह मानने को तैयार नहीं हैं कि अब जिंदगी कोयले के बिना चलानी होगी
राहुल सिंह जब हम झारखंड की राजधानी रांची से खूबसूरत पतरातू घाटी को पार करते हुए उससे नीचे उतरते हैं तो पॉवर प्लांट की चिमनियां किसी औद्योगिक कस्बे में होने का अहसास कराती हैं। यहां पतरातू थर्मल पॉवर स्टेशन है और उसकी एक दूसरी इकाई में भारत के सबसे बड़े थर्मल पॉवर प्लांट में एक
टल सकता था अप्रैल का कोयला संकट अगर रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्य होते हासिल
अप्रैल 2022 में कोयले की उपलब्धता में कमी के कारण भारत में बिजली संकट पैदा हो गया था। बिजली उत्पादन में भारी कमी देखी गई और महीने के 8 दिनों में 100 मिलियन यूनिट (एमयू) (MU) से अधिक ऊर्जा की कमी हुई। इसने कई राज्यों में डिस्कॉम को बिजली सप्लाई राशन करने के लिए लोड-शेडिंग
बलकुदरा : कोयला, ऊर्जा व स्टील इकाइयों के लिए विस्थापन झेलने वाले गांव में कितना पहुंचा विकास?
राहुल सिंह खनन, ऊर्जा व औद्योगिक इकइायों से घिरा बलकुदरा रांची-भुरकुंडा रोड पर स्थित भारत के लाखों अन्य गांवों की तरह एक सामान्य गांव नहीं है। यह गांव रांची से तकरीबन 50 किमी और रामगढ से 22 किमी की दूरी पर है। यह संसाधनों और संभावनाओं से भरा-पूरा भूभाग रहा है और इसलिए इसका दोहन
खराब प्रबंधन से पैदा हुआ बिजली संकट, यही समय है अक्षय ऊर्जा में निवेश का : विशेषज्ञ
नयी दिल्ली : भारत इस वक्त ग्लोबल वार्मिंग की जबरदश्त मार सहने को मजबूर है। भीषण गर्मी के कारण तापमान बढ़ने से बिजली की खपत में वृद्धि के फलस्वरूप देश के विभिन्न राज्यों में बिजली संकट भी उत्पन्न हो गया है। इसे कोयले की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना