“काले कारनामों का सहयोगी” रंजीत राणा को सराहनीय सेवा पुरस्कार क्यों: बाबूलाल मरांडी
किस तरह की सेवा का पुरस्कार दे रही राज्य सरकार
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा है कि JAP-2 के आरक्षी रंजीत राणा को “सराहनीय सेवा” की श्रेणी में शामिल कर राज्य सरकार किस तरह की सेवा का पुरस्कार दे रही है। मरांडी ने कहा कि रंजीत राणा कभी किसी नक्सल अभियान में शामिल नहीं हुए, बल्कि वर्ष 2015 से अनुराग गुप्ता के कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रंजीत राणा अनुराग गुप्ता के “काले कारनामों” में सहयोगी और हिस्सेदार रहे हैं।
रांची: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा राज्य में पुरस्कार देना उनका विशेषाधिकार है ,वे जिसे चाहें, जब चाहें, किसी भी पुरस्कार से सम्मानित कर सकते हैं। कहा कि राजा हैं चाहें तो चोर, उच्चके, डकैत किसी को भी सम्मानित कर सकते हैं। वैसे भी, उनके कार्यकाल में तो डीजीपी का पद भी मानो “पुरस्कार” बन गया है जैसे मन में आया, जिसे मन आया, उसे दे दिया और जब मन बदला, वापस ले लिया। उनके रसूख़ के सामने क़ायदे-क़ानून की क्या औक़ात है?

बाबूलाल ने कहा कि सवाल यह है कि जब इसने कोई सराहनीय कार्य किया ही नहीं, तो इन्हें किस “सराहनीय कार्य “के लिए पुलिस पदक से नवाज़े जाने के लिये चुना जा रहा है? कहा कि क्या अब किसी वरिष्ठ अधिकारी के काले कारनामों में सहयोग देना और उनके गलत एवं ग़ैर क़ानूनी लूटपाट के कामों में हिस्सेदार बनना भी झारखंड सरकार में “सराहनीय सेवा” की श्रेणी में आ गया है? कहा कि अगर यह ग़लती भी मुख्यमंत्री की ऑंख में धूल झोंककर करवाया जा रहा है तो क्यों न उनके संज्ञान में लाया जाए। बाकी मुख्यमंत्री की मर्जी।
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