झारखण्ड: पंचायती राज विभाग के आउटसोर्सिंग की निविदा में पुनः गड़बड़ी
झारखण्ड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के सचिव मिले विभागीय मंत्री से

गड़बड़ी का ऐसा ही मामला दोबारा की निविदा में भी आया है जिसके सम्बन्ध में झारखण्ड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के सचिव संदीप तिवारी ने विभागीय मंत्री डॉक्टर इरफ़ान अंसारी से मिलकर शिकायत दर्ज की है।
रांची: ज्ञात हो कि राज्यों के पंचायती राज विभाग में केंद्रीय योजना के सञ्चालन के लिए मानवबल की सेवा आउटसोर्सिंग ऐजेन्सी से लेने का प्रावधान भारत सरकार ने किया है जिसके आधार पर राज्य के पंचायती राज विभाग ने पिछले वर्ष निविदा निकाली थी, परन्तु विभाग के अधिकारीयों ने कुछ एजेंसियों के साथ तालमेल कर निविदा में गरबड़ी की थी।

गड़बड़ी का ऐसा ही मामला दोबारा की निविदा में भी आया है जिसके सम्बन्ध में झारखण्ड कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएसन के सचिव संदीप तिवारी ने बुधवार को विभागीय मंत्री डॉक्टर इरफ़ान अंसारी से मिलकर शिकायत दर्ज की है। इस सम्बन्ध में संदीप तिवारी ने बताया की निविदा में कुल तीन एजेंसियों के चयन की बात लिखी गई है परन्तु पांच एजेंसियों का चयन किया गया है।
इस पांच एजेंसियों में एक ऐजेन्सी ऐसी है जो निविदा के वित्तीय भाग में असफल थी परन्तु विभागीय अधिकारीयों की मेहरबानी से उस ऐजेन्सी को न सिर्फ सफल घोसित किया गया बल्कि राज्य के 264 प्रखंड में से 80 से ज्यादा प्रखंड आवंटित किया गया है। नियमतः पांच एजेंसियों के बीच बंटवारा करने पर सभी एजेंसियों को लगभग 52 प्रखंड आवंटित होने चाहिए थे।
इससे भी बड़ी गरबड़ी यह है कि अन्य तीन एजेंसियों को उनके मन मुताबिक क्षेत्र आवंटित किया गया है जबकि सिर्फ एक ऐजेन्सी को 264 में से मात्र 27 प्रखंड आवंटित किये गए हैं। विभाग द्वारा किया गया क्षेत्र का बटवारा अपने आप में गरबड़ी की पूरी कहानी बयां कर रहा है।
संदीप तिवारी ने बताया की एसोसिएशन इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रहा है एवं मंत्री डॉ इरफ़ान से मांग की है कि न्यायसंगत निर्णय कर सभी एजेंसियों को बराबर का हक़ देने का कष्ट करें। श्री तिवारी ने कहा कि उन्हें पांच एजेंसियों के चयन से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह विभाग की सूझबूझ का मामला है परन्तु किसी ऐजेन्सी के साथ भेद भाव स्वीकार नहीं किया जायेगा।
अगर जिलों की बात की जाये तो जहाँ एक ओर सभी चार एजेंसियों को पांच- पांच जिले आवंटित किया गए हैं वहीं एक ऐजेन्सी को जिसे सबसे कम प्रखंड मिले हैं उन्हें जिले भी मात्र चार आवंटित किये गए हैं। जिलों की संख्या मायने नहीं रखती, विभाग अगर ईमानदारी से निर्णय करे तो प्रखंड या मानवबल की संख्या में थोड़ा बहुत ऊपर निचे कर बटवारा कर सकता है।