झारखंड में एनर्जी ट्रांजिशन : आर्थिक विकास व ऊर्जा सुरक्षा के लिए डिकार्बनाइजेशन जरूरी

झारखंड में एनर्जी ट्रांजिशन : आर्थिक विकास व ऊर्जा सुरक्षा के लिए डिकार्बनाइजेशन जरूरी

झारखंड में इलेक्ट्रिसिटी क्षेत्र में कम कार्बन उत्सर्जन के उपायों और एनर्जी ट्रांजिशन पर परिचर्चा

रांची : सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फ़ोर्स, झारखंड सरकार और इसके टेक्निकल पार्टनर सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट सीड द्वारा संयुक्त रूप से बुधवार को एक स्टेकहोल्डर्स कंसल्टेशन डिकार्बनाइजिंग पावर सेक्टर इन झारखंड का आयोजन किया गया। इस कंसल्टेशन का मुख्य उद्देश्य नेट जीरो परिदृश्य के संदर्भ में राज्य में सस्टेनेबल एनर्जी ट्रांजिशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और विद्युत क्षेत्र में डिकार्बनाइजेशन की प्रक्रिया से जुड़े समाधानों पर विचार विमर्श करना था। इस कंसल्टेशन में सरकारी और निजी क्षेत्रों की प्रमुख बिजली उत्पादन इकाइयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, थिंक.टैंक और क्लीन एनर्जी सोल्यूशन प्रोवाइडर्स कंपनियों की सहभागिता रही।

कंसल्टेशन के व्यापक उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए झारखंड जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स के अध्यक्ष एके रस्तोगी ने कहा कि यह बैठक प्रमुख क्षेत्रों और उद्योगों के साथ चल रहे कंसल्टेशन की श्रृंखला का एक अहम हिस्सा है, जो इनसे जुड़े स्टेकहोल्डर्स के दृष्टिकोण को जानने-समझने और सस्टेनेबल पाथवे तैयार करने के उद्देश्य के लिए हैं। बिजली औद्योगिक संरचना और सामाजिक.आर्थिक विकास का आधार स्तंभ है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना विद्युत क्षेत्र के लिए प्रमुख चुनौती है। इसके लिए डिकार्बनाइजेशन रणनीतियों के अनुरूप संभावित अवसरों की पहचान बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य में एनर्जी सिक्यूरिटी को सुनिश्चित करने और एनर्जी ट्रांजिशन की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए सस्टेनेबिलिटी आधारित कदमों जैसे कार्बन कैप्चर, स्टोरेज एवं यूटिलाइजेशन और ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ी अधिसंरचना और निम्न.कार्बन उत्सर्जन के लिए जरूरी तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।

विद्युत क्षेत्र के डिकार्बनाइजेशन का संबंध कार्बन उत्सर्जन की सघनता से है, जो उत्पादित बिजली की प्रति यूनिट कार्बन उत्सर्जन को कम करके किया जा सकता है। झारखंड में बिजली उत्पादन में थर्मल पावर क्षेत्र की हिस्सेदारी 93.5 प्रतिशत है जो जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता को इंगित करता है। हाइड्रो और सोलर एनर्जी स्रोत का क्रमशः 4.8 प्रतिशत और 2.25 प्रतिशत योगदान है। झारखंड एक औद्योगिक राज्य है, जहां उद्योग क्षेत्र 67 प्रतिशत के साथ बिजली का प्राथमिक उपभोक्ता है, इसके बाद घरेलू क्षेत्र 23.4 प्रतिशत और परिवहन क्षेत्र 3.7ः प्रतिशत प्रमुख उपभोक्ता हैं।

इस अवसर पर सीड के सीईओ रमापति कुमार ने क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन पर बल देते हुए कहा, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को दूर करने और सतत विकास की ओर बढ़ने के लिए राज्य को अपने ऊर्जा मिश्रण में अक्षय ऊर्जा के पक्ष में बदलाव की जरूरत है। अक्षय ऊर्जा जैसे स्वच्छ स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़ा कर और जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी करके विद्युत क्षेत्र में डिकार्बोनाइजेशन को गति दी जा सकती है। राज्य में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए चिह्नित एजेंसियों को रिन्यूएबल परचेज ओब्लिगेशन्स यानी अक्षय खरीद दायित्वों का पालन अवश्य करना चाहिए। स्टेकहोल्डर्स के बीच कन्वर्जेन्स एप्प्रोच और समाधान केंद्रित दृष्टिकोण बेहद जरूरी है। डिकार्बनाइजेशन प्रक्रिया में तकनीकी सहायता, इन्सेन्टिव्स, फाइनेंसिंग और समर्थनकारी फ्रेमवर्क की प्रमुख भूमिका हो सकती है। क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन के एक्शन प्लान के जरिए राज्य में सततशील विकास और क्लाइमेट मिटिगेशन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों और उद्योग के प्रतिनिधियों की भागीदारी रही, जिन्होंने कई समाधानों पर विचार किया, जैसे – कम उत्सर्जन वाले ऊर्जा स्रोतों का विकल्प, बेहतर ग्रिड संरचना और स्टोरेज, कार्बन कैप्चर, स्टोरेज और यूटिलाइजेशन से जुडी इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम का निर्माण, फाइनेंसिंग की सुविधा और लघु एवं दीर्घकालिक कार्ययोजना का अनुपालन करना आदि। कंसल्टेशन में नेशनल थर्मल कॉरपोरेशन, टाटा पॉवर, दामोदर घाटी निगम, तेनुघाट विद्युत् निगम लिमिटेड, उषा मार्टिन पॉवर, इनलैंड पावर लिमिटेड, ग्रासिम, एसीसी, रांची पार्टनर्स कंसल्टेंट्स और अन्य कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों की सहभागिता रही।

Edited By: Samridh Jharkhand

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