
भारत सरकार मल्टीपर्पस चूल्हे का करा रही पेटेंट, चूल्हे से बनेगा डिस्टिल्ड वाटर, व्यंजन भी बना सकेंगे ग्रामीण
धनबाद: आवश्यकता अविष्कार की जननी है. इसे सच कर दिखाया है झरिया (Jharia) की स्कूली छात्रा अंकिता (Ankita) ने. महज सोलह साल की उम्र में अंकिता ने संसार छोड़ दिया. लेकिन उसके कर्म का फल उसके परिवार के लोगों को मिल रहा है. अंकिता की मौत वर्ष 2019 में हो गयी. लेकिन ग्रामीण महिलाओं को चूल्हे पर खाना बनाते देख, उसने मल्टीपर्पस चूल्हे का निर्माण किया था. भारत सरकार इस मल्टीपर्पस चूल्हे का पेटेंट करा रही है. अंकिता के मरणोपरांत पिता अमोद कुमार सिंह के नाम पर सरकार ने मल्टीपर्पस चूल्हे (Multipurpose Stove) का पेटेंट कराने का निर्णय लिया है. इस संबंध में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (National Innovation Foundation) के प्रतिनिधि धनबाद पहुंचे और अंकिता के पिता के हस्ताक्षर सहित अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया. इसके पीछे का उद्देश्य यह है कि अगर कोई कंपनी इस मॉडल का व्यवसायिक उपयोग करने की अनुमति लेती है, तो इसका वित्तीय लाभ अंकिता के पिता को मिलेगा.
अंकिता राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हुई थी शामिल
वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता (इंस्पायर अवार्ड) में अंकिता ने मल्टीपर्पस चूल्हे का मॉडल प्रस्तुत किया था. जिसके कारण अंकिता का नाम राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा. फरवरी 2019 में IIT DELHI में आयोजित (INSPIRE AWARD) मानक स्कीम प्रोजेक्ट प्रदर्शनी में के.सी.बालिका उच्च विद्यालय, झरिया की छात्रा अंकिता को मल्टीपर्पस चूल्हे के मॉडल के लिए पुरस्कृत किया गया. मार्च 2019 में अहमदाबाद में आयोजित कार्यक्रम में अंकिता सहित कई बाल वैज्ञानिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद से मुलाकात की.
क्या है इस मल्टीपर्पस चूल्हे की खासियत?
विषय के साथ सवालों का दिमाग में घर करना लाजमी है. अब आपकी उत्सुकता मल्टीपर्पस चूल्हे के बारे में जानने की होगी. तो आइए, जानते हैं अंकिता के बनाये गए मल्टीपर्पस चूल्हे की खासियत.
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अंकिता ने इस चूल्हे को मुख्य रूप से ग्रामीणों के लिए डिजाइन किया है. उसका मानना था कि गांव के लोगों के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वो हर माह LPG GAS CYLINDER खरीद पाएं. अंकिता ने मुख्य रूप से ग्रामीणों के लिए मल्टीपर्पस चूल्हे का निर्माण किया. इस चूल्हे की खासियत है कि इसे वेस्टेज ईंधन (पराली, पुआल या अन्य ऐसे संसाधनों) की मदद से भोजन बनाया जा सकता है. इस मल्टीपर्पस चूल्हे पर पानी भी गर्म किया जा सकता है और जो अन्य तरह के चूल्हे पर काम होता है, उसी तरह से मल्टीपर्पस चूल्हे का भी उपयोग कर ग्रामीण व्यंजन पका सकते हैं. इसके अलावा मल्टीपर्पस चूल्हे की मदद से डिस्टिल्ड वाटर भी बनाया जा सकता है, इसलिए इसे ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक उपयोगी माना जा रहा है.
टूट गया मां-बाप का सपना
महज 16 साल की उम्र में अंकिता का दुनिया से विदा लेना उसके सपने का अरमान बनकर ही रह गया. साथ ही माता-पिता के दिल पर इतना बड़ा पहाड़ टूटा कि उनकी आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे.
NIF wish Multipurpose Chulha, innovation by Ankita Singh which won her @InspireManak in 2019 could secure Intellectual Property Rights & get commercialized.This will be a real tribute to her innovative spirit & creativity. It’s unfortunate that during 2019 she left us.@IndiaDST pic.twitter.com/6YWbMMceGX
— NIF – India (@nifindia) February 10, 2022
अंकिता के पिता अमोद कुमार सिंह को उसकी बहुत याद आती है. वो अंकिता के बारे में लोगों को बताना तो चाहते हैं, लेकिन आंखों से निकल रहे आंसुओं के बीच गले की आवाज दब सी जाती है. वो नम आंखों से अगर कुछ दिखा पाते हैं, तो अंकिता के कर्म. जो कि उसके सर्टिफिकेट और मल्टीपर्पस चूल्हा में साफ दिखाई देता है.
रूंधे गले से आरती ने बतायी हकीकत
अंकिता की मां के आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. लेकिन किसी तरह से उसने अपनी वेदना में संवेदना को संजोकर चंद बाते बतायी. अंकिता की मां आरती देवी बताती हैं कि जब वो अंकिता को लेकर दिल्ली गयी, तो वहां जजों ने कहा कि “आपने बेटी नहीं, शेरनी पैदा किया है.” आरती ने रूंधे गले से कहा कि अंकिता 16 साल साथ रही, उससे बहुत उम्मीद जग गयी. लेकिन भगवान को उसका धरती पर रहना देखा ना गया, भगवान ने हमारे कोख को सूना कर उसे वापस बुला लिया. अंकिता इस दुनिया से जाने के बाद भी स्कूल और परिवार का नाम रौशन कर रही है. इससे हम सभी काफी खुश हैं, उम्मीद करते हैं कि अंकिता भी जहां होगी, खुश होगी.
क्या कहती हैं स्कूल की प्रभारी प्राचार्य?
अंकिता झरिया के के.सी.हाई स्कूल की छात्रा रही हैं. अंकिता के बारे में स्कूल की प्रभारी प्राचार्य ललिता कुमारी कहती हैं अंकिता ने साबित कर दिखाया कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को संसाधन भले ही कम मिले, लेकिन टैलेंट की कोई कमी नहीं है. आज अंकिता साथ होती, तो खुशी कई गुना अधिक बढ़ जाती, लेकिन ईश्वर को यह मंजूर नहीं था. वह समाज और देशवासियों के लिए एक प्रेरणास्रोत है.
कहां से मिली प्रेरणा?
अंकिता को प्रोत्साहित करने वाली शिक्षिका कुमारी अर्चना बताती हैं कि वो बहुत मेधावी थी, किसी चीज को जानने और समझने की ललक उसके चेहरे पर साफ नजर आती थी. अंकिता बिहार के किसी गांव की रहने वाली थी और अक्सर कहा करती थी कि यहां तो गैस आदि की व्यवस्था नहीं है. लेकिन गांव में लोग लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाते हैं. इसलिए इसका कोई वैकल्पिक रास्ता ढूंढना चाहिए और ढूंढते-ढूंढते अंकिता ने मल्टीपर्पस चूल्हे का निर्माण कर डाला, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिल रहा है.
अंकिता ने अंकित करायी मौजूदगी
अंकिता भले ही इस दुनिया में ना हो, लेकिन उसके बनाए गए मल्टीपर्पस चूल्हे के पेटेंट होने के बाद, उसकी मौजूदगी गांव के घर-घर में होगी. भारत सरकार के स्तर से सम्मान मिलने के बाद वो पूरी दुनिया में लोगों के घरों के साथ-साथ दिलों में अपनी मौजूदगी अंकित करा पाएगी.
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