

विद्रोह मित्र
फुटबॉल विश्व का सबसे रोचक और जनप्रिय खेल है। इसे सजाने और संवारने के लिए शिक्षा के साथ जोड़ना जरूरी है। तीसरी और चौथी कक्षा से ही फुटबॉल खेल को अनिवार्य विषय के रूप मे मान्यता देनी होगी। जितना हम अन्य विषय जैसे हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान और गणित को प्राथमिकता के तैर पर सोचते हैं या मान्यता देते हैं, ठीक उतना ही इस खेल को मान्यता देनी होगी। इसके लिए एक ठोस कार्यक्रम केंद्र सरकार को तैयार करना चाहिए और यह कार्यक्रम एक या दो साल के लिए नहीं बल्कि नियमित या लंबी अवधि के लिए होनी चाहिए। वार्षिक फुटबॉल प्रतियोगिता कैलेन्डर स्कूल के लिए, कॉलेज के लिए तथा विश्वविद्यालय स्तर पर तैयार करना चाहिए।
अनुशीलन में, प्रतियोगिता में, भागीदारी में ग्रेडेशन की व्यवस्था रखनी चाहिए। जैसे हम कक्षाओं में उपस्थिति पूरी नहीं होने पर फार्म भरने से छात्रों को दूर रखते हैं, ठीक उसी तरह एक व्यवस्था ऐसी हो जिससे छात्र की उपस्थिति खेल के मैदान में ज्यादा से ज्यादा हो। इंटर क्लास, फ़िर इंटर स्कूल प्रतियोगिता सातवीं कक्षा तक, दसवीं कक्षा तक, फिर इसी तरह कॉलेज के लिए प्रतियोगिता का आयोजन नियमित आधार पर करना चाहिए। सालाना सुब्रोतो कप के तरह कई टूर्नामेंट का आयोजन स्कूल स्तर पर होना चाहिए, इसकी व्यवस्था करनी होगी। ताकि इससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे मैदान में नियमित रूप से आ सकें।
मैरिट स्कॉलरशिप प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक प्रावधान रखना होगा। स्कूुल, कॉलेज, विश्वविद्यालय के सिलेबस में बोल्ड अक्षर से इस विषय को दर्शाना होगा। बीए, बीएड, एमए, एमएड, पीएचडी डिग्री के अंक पत्र मे इस खेल के अंक को भी जोड़ने का प्रावधान रखना होगा या फिर खेल विश्वविद्यालय होना चाहिए। खेल से संबंधित अलग-अलग डिग्री बनाई जानी चाहिए। कैनवोकेशन का आयोजन किया जाना चाहिए। नामांकन के समय प्राइमरी सेक्शन से ही अभिभावक को भी इस विषय को निश्चित रूप से समझाया जाए। इसके दूरगामी लाभ से अवगत कराया जाये। केंद्र सरकार को इस कार्यक्रम का लिटरेचर या बुकलेट तैयार करना होगा। प्रत्येक स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय में वह लिटरेचर या बुकलेट रखने की व्यवस्था करनी होगी ताकि फुटबॉल से संबंधित छात्रों को वह मिल सके।
कॉलेजों के लिए भी नियमित रूप से सालाना कई टूर्नामेंट का आयोजन कॉलेज स्तर पर, फिर विश्वविद्यालय स्तर पर करने की जरूरत है।
ज्ञात हो खिलाड़ी एक छोटी-सी उम्र से अगर राज्य और राष्ट्रीय टूर्नामेंट में लगातार हिस्सा लेने का अवसर प्राप्त करता है तो निश्चित रूप से वह राज्य और देश का नाम उजागर करेगा ही।
अगर स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय में विषयों का ग्रुप बनता है तो अनिवार्य रूप से इस खेल को भी ग्रुप में जोड़ कर दर्शाना होगा। फुटबॉल प्रतिभा खोज के लिए भारत सरकार को हर राज्य में एक विशेष टीम का गठन करना होगा जिसमें केवल फुटबॉल से जुड़े जानकार लोग रहें, ऐसी व्यवस्था करनी होगी। सरकार के खेल मंत्रालय और उससे जुड़े विभागों में भी केवल फुटबॉल से जुड़े जानकार लोग रहें इसकी वयवस्था करनी होगी।
शत-प्रतिशत अंकों के साथ प्रतियोगिताओं से उभर कर आने वाले छात्रों को एक विशेष आर्थिक पैकेज के साथ भारत सरकार के हर विभाग में नियोजन तथा केंद्र सरकार के निर्देश से प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी की व्यवस्था रखनी होगी। यह व्यवस्था कर सरकार को लगातार प्रचार-प्रसार के माध्यम से घर-घर तक यह संवाद पहुंचाना होगा जैसा अन्य योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए जो मापदंड भारत सरकार का रहता है, उसमें इस खेल को भी जोड़ना होगा और फिर रोजगार की व्यवस्था रखनी होगी। क्षमता के अनुसार हर प्राइवेट कंपनी को टाटा या रिलायंस की तरह एक या दो फुटबॉल टीमों को रखने या प्रायोजकों के रूप मे काम करना अनिवार्य होगा। ऐसा नियम बनाया जाये।
खेल के मैदान को हर तरह के प्रतिबंधों से मुक्त रखना होगा और नियमित रूप से रखरखाव में पारदर्शिता लानी होगी। मेडिकल सुविधा से लेकर खानपान तक की व्यवस्था को ध्यान में रखकर काम करने की जरूरत है। खेल के मैदान में खेल के अलावा और कोई भी कार्यक्रम नहीं हो इसकी व्यवस्था करनी होगी।
राजनीतिक दल, नेता, मंत्री को खेल से अलग रखना होगा। चाहे वह कोई भी खेल हो। निर्वाचन के समय शपथ पत्र के माध्यम से इसकी घोषणा करनी होगी या फिर निर्वाचन आयोग के माध्यम से यह नियम लागू किया जाये कि वह किसी भी परिस्थिति में इस विषय से अलग रहेंगे और अगर भविष्य में किसी भी माध्यम से उनकी संलिपतता पायी गयी तो उनका कैंडिडेचर खत्म किया जायेगा।
अनावश्यक स्टेडियम या फिर अनावश्यक खेल प्रतियोगिता, जैसे खेलो झारखंड का आयोजन न हो, इसको भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है। अनावश्यक स्टेडियम में या तो मवेशी चरते हैं या फ़िर अनावश्यक कार्य होता है, अनावश्यक खेल या फिर बिना प्लानिंग के खेल आयोजन से पैसे की बर्बादी होती है।
एक और काम, .सरकार जिस तरह गरीबों के लिए मुफ्त आवास और अनाज की व्यवस्था करती है, ठीक उसी प्रकार जो खिलाड़ी राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हुए हों, उनके लिए आवास और अनाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के दिशा में कार्य करने की व्यवस्था करनी होगी, ताकि कोई भी खिलाड़ी या उसका परिवार भूख से नहीं मरे, क्योंकि उस खिलाड़ी को शिखर तक पहुँचाने में उसके परिवार का योगदान बहुमूल्य होता है।
फुटबॉल विश्व का सबसे रोचक और जनप्रिय खेल है। ज्ञात हो कि एक समय भारत की टीम एशिया का चैंपियन फुटबॉल टीम रह चुकी है तथा ओलिंपिक में भी योगदान किया है।
सरकार के साथ-साथ हमें भी इस मिशन को सफल बनाने में अपनें अंतःकरण से जुड़ जाना चाहिए।
लेखक झारखंड फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
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