विजयदशमी 2025: जानें नीलकंठ पक्षी के दर्शन का महत्व, पौराणिक कथाएं, शुभ समय और खास मंत्र
समृद्ध डेस्क: दशहरे के पावन पर्व पर, नीलकंठ पक्षी के दर्शन को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष, 02 अक्टूबर, गुरुवार को विजय दशमी मनाई जाएगी। ज्योतिष और पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस नीलकंठ पक्षी के दर्शन मात्र से ही जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। आइए जानते हैं क्या है नीलकंठ दर्शन का महत्व, इसके पीछे की कथाएं और महामंत्र।
नीलकंठ पक्षी के दर्शन का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं में नीलकंठ
नीलकंठ पक्षी के महत्व को कई पौराणिक कथाओं से जोड़ा जाता है:
1. श्री राम और विजय का प्रतीक
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। माना जाता है कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन के बाद ही श्री राम ने लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध कर विजय प्राप्त की। इसीलिए, दशहरे के दिन इस पक्षी के दर्शन को विजय की सुनिश्चितता का प्रतीक माना जाता है।
2. भगवान शिव का स्वरूप
एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तब उनका कंठ नीला पड़ गया था और उन्हें 'नीलकंठ' नाम मिला। नीलकंठ पक्षी को उसी भगवान नीलकंठ (शिव) का स्वरूप माना जाता है। कहा जाता है कि दशहरे के दिन इसके दर्शन करने से व्यक्ति को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उसे पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।
दर्शन का समय और लाभ
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शुभ समय: दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना सबसे शुभ माना जाता है, खासकर विजय मुहूर्त में।
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लाभ: नीलकंठ पक्षी का दिखना सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और विजय का संकेत होता है। ऐसा माना जाता है कि इसे देखने से खेतों की फसलें अच्छी होती हैं और व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है।
नीलकंठ दर्शन महामंत्र
दशहरे के दिन यदि आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन होते हैं, तो उसके दर्शन करते समय इस विशेष मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
नील कंठ! तुम रहियो कल्याणा, शिव रूप तुम, करियो कल्याणा।
नीलकंठ! महादेव! क्षमास्व! त्वं! शिव! पापहरो भव! नीलकंठाय नमः! दशहरे पर्व की शुभकामनाएं!
इस मंत्र का उच्चारण श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।
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