1948 लंदन ओलंपिक का गोल्ड मेडल भारतीय हॉकी के लिए हमेशा खास रहेगा: हरमनप्रीत सिंह

टोक्यो और पेरिस के कांस्य के बाद अब ‘गोल्ड मिशन’ पर हरमनप्रीत की टीम

1948 लंदन ओलंपिक का गोल्ड मेडल भारतीय हॉकी के लिए हमेशा खास रहेगा: हरमनप्रीत सिंह
हरमनप्रीत सिंह (फोटो)

भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह को आधुनिक युग के महान खिलाड़ियों में गिना जाता है, और वे प्रेरणा लेते हैं बीते दौर के उन गौरवशाली क्षणों से, जब 1948 लंदन ओलंपिक में भारत ने आज़ादी के एक वर्ष बाद ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था।

नई दिल्ली: भारतीय खेल जगत में हॉकी का स्थान हमेशा ही बेहद खास रहा है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह को आधुनिक युग के महान खिलाड़ियों में गिना जाता है, और वे प्रेरणा लेते हैं बीते दौर के उन गौरवशाली क्षणों से, जब 1948 लंदन ओलंपिक में भारत ने आज़ादी के एक वर्ष बाद ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। यह वही ऐतिहासिक अवसर था जब ओलंपिक खेलों में पहली बार तिरंगा फहराया गया था।

उस स्वर्णिम पल को याद करते हुए हरमनप्रीत सिंह ने हॉकी इंडिया के हवाले से कहा, “1948 लंदन ओलंपिक में जब भारत ने गोल्ड मेडल जीता, तो वह पूरे देश के लिए गर्व और भावनाओं से भरा क्षण था। खासकर इसलिए क्योंकि जीत ग्रेट ब्रिटेन के मैदान पर मिली थी। हमने अपने वरिष्ठों से उस दिन की कहानियाँ सुनी हैं, और मेरे लिए वह क्षण बेहद प्रेरणादायक है।”

हरमनप्रीत सिंह, जिन्होंने भारतीय टीम को टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में लगातार दो कांस्य पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई, ने उस युग के महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर से मुलाकात को भी याद किया।

उन्होंने कहा, “बलबीर सिंह सीनियर सर से मिलना और उनके मुख से लंदन ओलंपिक की कहानियाँ सुनना मेरे जीवन के सबसे विशेष क्षणों में से एक रहा। उन्होंने बताया कि कैसे उस समय लंदन की भीड़ भारतीय टीम के लिए तालियां बजा रही थी — यह सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कल्पना कीजिए, खिलाड़ियों ने उस पल कैसी खुशी महसूस की होगी।”

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1948 ओलंपिक में भारत ने समूह चरण में ऑस्ट्रिया, अर्जेंटीना और स्पेन को हराया था, फिर सेमीफाइनल में नीदरलैंड्स को पराजित कर, फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।

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अब हरमनप्रीत और उनकी टीम की नज़रें 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक पर हैं।

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कप्तान ने कहा, “हमने लगातार दो बार ओलंपिक में पदक जीते हैं और तिरंगे को ऊंचा होते देखा है, लेकिन अब हमारा सपना एक कदम आगे बढ़ने का है। हम चाहते हैं कि एक बार फिर ओलंपिक में राष्ट्रीय गान बजे, जैसा 1948 में किशन लाल और बलबीर सिंह सीनियर की टीम ने अनुभव किया था। इसके लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”

हरमनप्रीत ने अंत में कहा, “हॉकी और भारत का रिश्ता ऐतिहासिक है। हमारी कोशिश होगी कि हम देश के लिए नौवां गोल्ड मेडल जीतें। मुझे विश्वास है कि हमारे वरिष्ठ खिलाड़ियों के आशीर्वाद से हम यह सपना जरूर पूरा करेंगे।”

हॉकी इंडिया आने वाले दिनों में ऐसे कई और प्रेरणादायक किस्से साझा करेगी, जिनमें उन दिग्गजों की गाथाएँ शामिल होंगी जिन्होंने पिछले 100 वर्षों में भारतीय हॉकी को विश्व मानचित्र पर चमकाया।

Edited By: Mohit Sinha

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