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दुमका : दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर अखड़ा और ग्रामीणों ने संतालों का महापर्व सोहराय दुमका जिले के जामा प्रखंड के कुरुतोपा गांव में बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया. संताल आदिवासी माल-जाल, मवेशियों के सम्मान में सोहराय पर्व मनाते हैं. इस पावन अवसर पर ग्रामीणों ने तुनदाह टमाक के थाप पर सोहराय नृत्य कर आनंद लिया. अखड़ा ने बताया दुमका के आसपास अभी सोहराय नहीं मनाया जाता है लेकिन अभी भी झारखंड के कई गांवो में, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कई गांवों में सोहराय पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है.
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संताल परगना भूभाग में सोहराय जनवरी-फरवरी को मनाने की परंपरा है, लेकिन संताल हूल के पहले इस भू भाग में भी सोहराय पर्व इस समय ही मनाये जाने का परंपरा थी. संताल आदिवासियों का सोहराय चांदू सोहराय महीना चल रहा है. यह महीना भी पर्व के नाम पर आधारित है. जानकारों का कहना है कि आजादी की लड़ाई में संताल हूल के कारण संताल परगना भू भाग और आसपास के क्षेत्र में सोहराय पर्व जनवरी-फरवरी महीने में मनाने का प्रचलन शुरू हुआ, क्योंकि संताल हूल के प्रतिफल 22 दिसंबर को संताल परगना भू भाग मिला था.
इस मौके में मंगल मुर्मू, सुनील सोरेन, फिलिप सोरेन, नोरेन मुर्मू, लुखींन मुर्मू, लीलीमुनि हेम्ब्रोम, मोनिका हांसदा, पनसुरी हांसदा, सुनीता टुडू, मर्शिला हेम्ब्रोम, प्लानती मुर्मू, सेमु हेम्ब्रोम, मिनी मरांडी, एलिजबेद हेम्ब्रोम, बिटिया मरांडी, कहा किस्कु, जोबा हांसदा आदि उपस्थित थे.