
झारखंड क झरिया कोयला खनन क्षेत्र की एक कोयला खदान। फोटो : राहुल सिंह।
लाइफ संस्था की यह रिपोर्ट कोरोना संकट खत्म होने के बाद कोयला के दोहन में तेजी का भी संकेत देती है और आने वाले सालों में वन भूमि के कोयला खनन के लिए डायवर्सन और बढ सकता है
ऐसा होने पर झारखंड, छत्तीसगढ और ओडिशा जैसे प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य कुछ क्षेत्रों में संघर्ष और बढ सकता है
रांची : एक नए अध्ययन में पता चला है कि पिछले तीन सालों में वर्ष 2021 में रिकार्ड मात्रा में नई भूमि को कोयला खनन के लिए डायवर्ट किया गया है। इसमें 25 प्रतिशन वन भूमि हैं, जिसे नई कोयला खदान के लिए मंजूरी प्रदान की गयी है। यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आयी है जब छत्तीसगढ में हसदेव अरण्य में कोयला खनन की अनुमति दिए जाने के खिलाफ स्थानीय आदिवासी व अन्य समुदाय आंदोलनरत है और इस आंदोलन का पर्यावरण की चिंता करने वाला एक बड़ा तबका समर्थन कर रहा है। वहीं, झारखंड जैसे राज्य में भी कुछ संभावित कोयला खनन परियोजनाओं का स्थानीय समुदाय द्वारा विरोध किया गया है, जिसमें दुमका व लातेहार जिला प्रमुख हैं।
नई दिल्ली स्थित संस्था लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट (Legal Initiative for Forest and Environment) यानी लाइफ ने इनवायरमेंट क्लियरेंस ऑफ कोल माइंस इन इंडिया 2019-21 नाम से गुरुवार, 23 जून 2022 को रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में पुरानी कोयला खदानों के विस्तार और नई कोयला खदानों को लेकर दी गयी मंजूरी का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में उत्पादन वृद्धि का भी आकलन किया गया है। यह रिपोर्ट इस बात का बहुत ठोस तरीके से संकेत देती है कि दो साल का कोरोना संक्रमण का दौर गुजरने के बाद देश में कोयला का दोहन, उसकी नई परियोजनाओं एवं उत्पादन वृद्धि पर ध्यान को केंद्रित किया गया है।
LIFE’s Analysis of Coal Mines granted Environmental Clearances in 2021 – 35% increase in Capacity over previous two years; most are expansion of existing mineshttps://t.co/L1m4teh2bg pic.twitter.com/WZBrRJQQ1u
— Legal Initiative for Forest and Environment (@lifeindia2016) June 23, 2022
कोयला खदानों की पर्यावरणीय मंजूरी के संदर्भ में तैयार की गयी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और भारत दुनिया में सबसे बड़े कोयला उपभोक्ता हैं, यह स्थिति तब है जब इंटरनेशन एनर्जी एजेंसी के अनुसार, दोनों देशों ने नवीनीकृत ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय बढत हासिल की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कोयला पर निर्भरता 2020 की तुलना में 2021 में 13.4 प्रतिशत बढ गयी है। इस रिपोर्ट में ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि अब भी भारत में 60 प्रतिशत बिजली जीवाष्म ईंधन से तैयार होती है और कोल फायर का कुल उत्पादन में 51.6 प्रतिशत हिस्सा है।
खनन नई और वैसी पुरानी परियोजनाएं जो विस्तार चाहती हैं, उन्हें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार से उसके लिए पर्यावरणीय मंजूरी हासलि करनी होती है। परियोजना के प्रभाव का आकलन पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 के तहत किया जाता है। किसी भी कोयला खनन परियोजना को वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत फॉरेस्ट क्लियरेंस भी हासिल करना होता है। इसी तरह वायु प्रदूषण को लेकर 1981 के कानून एवं जल प्रदूषण को लेकर 1974 के कानून के अनुरूप शर्ताें को पूरा करते हुए मंजूरी हासिल करना पड़ता है।
तीन सालों में 39 कोयला परियोजनाओं को मंजूरी
2019 से 2021 के बीच तीन सालों में कुल 39 कोयला परियोजनाओं को विस्तार या नई खनन को मंजूरी दी गयी है। 2019 में छह परियेजनाओं को विस्तार एवं पांच नई परियोजनाओं यानी 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी। 2020 में कुल 12 जिसमें नौ विस्तार वाली एवं तीन नई परियोजनाएं शामिल हैं। 2021 में 16 परियोजनाओं को मंजूरी दी गयीं, जिसमें 12 विस्तार वाली और चार नई परियोजनाएं शामिल हैं। पिछले तीन सालों में इन परियोजनाओं को मिली मंजूरी से देश के 103.149 मैट्रिक टन क्षमता सालाना की वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 2020 व 2021 में विस्तार की मांग वाली अधिक परियोजनाओं को मंजूरी मिली है।
कोयला खनन के लिए भूमि का डायवर्सन
कोयला खनन के लिए पर्याप्त मात्रा में लैंड डायवर्सन यानी भूमि के उपयोग के स्वरूप में बदलाव किया गया है। 2019 में 3483.218 हेक्टेयर भूमि को नई परियोजनाओं के लिए डायवर्ट किया गया। 2020 में कुल 3177.546 हेक्टेयर भूमि को डायवर्ट किया गया, जिसमें 2083.62 हेक्टेयर को नई परियोजना के लिए और 1093.926 हेक्टयेर पुरानी परियोजनाओं के लिए है। 2021 में कुल 6600.082 हेक्टेयर भूमि डायवर्ट की गयी, जिसमें 4550.852 हेक्टेयर नए प्रोजेक्ट के लिए और 2049.23 हेक्टेयर भूमि विस्तार वाली परियोजनाओ ंके लिए डायवर्ट की गयीं।
साल 2019 में कुल डायवर्ट भूमि में वन भूमि का हिस्सा 32.35 प्रतिशत था और यह 1126.978 हेक्टेयर थी। साल 2020 में कुल डायवर्ट भूमि में वन भूमि का हिस्सा 14.03 प्रतिशत था और भूमि की मात्रा 292.394 हेक्टेयर थी। 2021 में कुल डायवर्ट भूमि में वन भूमि का हिस्सा 24.6 प्रतिशत था और यह 1119.354 हेक्टेयर थी। तीन सालों में कुल 2538.726 हेक्टेयर वन भूमि कोयला खनन के लिए डायवर्ट की गयी और कुल डायवर्ट भूमि का 25.09 प्रतिशत है।
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